हस्तमैथुन
हस्तमैथुन ऐसी क्रिया है जिसमें रोगी अकेले में अपने ही हाथो से लिंग को घिसकर अपने वीर्य को निकालता रहता है। इसको करने से मानसिक और शारीरिक रोग पैदा हो जाते हैं। मानसिक रोगी दूसरों के सामने भी हस्तमैथुन करने से नहीं हिचकिचाता है। यह कार्य अविवाहित व्यक्ति ज्यादा करते है। यह कार्य स्त्रियां भी कर लेती है। अपनी योनि पर उंगुलियों से रगड़कर वे भी स्खलित कर लेती है यह भी हस्तमैथुन का ही रोग कहलाता है।
विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. छोटा गोखरू: छोटा गोखरू और तिल को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह-शाम 4 से 8 ग्राम यह चूर्ण मिश्री मिले गाय के दूध के साथ खाने से हस्तमैथुन से होने वाले रोग दूर होते हैं। इसका सेवन करने से हस्तमैथुन से पैदा होने वाली नपुंसकता भी दूर हो जाती है।
2. कुचला: लगभग चौथाई ग्राम कुचला को सुबह और शाम लेने से हस्तमैथुन से पैदा होने वाली नपुंसकता में लाभ होता है।
3. काहू: कामवासना पर नियंत्रण रखने के लिये जंगली काहू के बीज का चूर्ण 1 से 3 ग्राम रोजाना 2 बार लेने से लाभ होता हैं।
4. विल्वपत्र (बेलपत्र): 10 से 20 मिलीलीटर विल्वपत्र का रस सुबह-शाम पीने से कामइच्छा काबू में होती है, जिससे हस्तमैथुन की ओर से मन हट जाता हैं।
5. धनिया: धनिया का काढ़ा अनुपान या सहपान के रूप में खाने से हस्तमैथुन के रोग में लाभ होता है।
6. गोखरू: गोखरू फल और तिल को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 3 से 6 ग्राम की मात्रा में बकरी के दूध के साथ खाने से हस्तमैथुन से होने वाले सारे रोग दूर हो जाते हैं।
7. आंवला: हस्तमैथुन से धातु (वीर्य) पतला हो गया हो तो सबसे पहले इस हस्तमैथुन की आदत छोड़ दें। आंवलों तथा हल्दी को समान मात्रा में पीसकर घी डालकर सेंके और भूने। सेंकने के बाद इसमें दोनों के वजन के बराबर पिसी हुई मिश्री मिला लें। एक चाय के चम्मच भरकर सुबह-शाम गर्म दूध से इसकी फंकी लेना लाभकारी रहता है।
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