तन्त्रिका कोशिका या न्यूरॉन
तन्त्रिका कोशिकाओं के दो मुख्य भाग होते हैं:
(1) कोशिका पिण्ड:
यह कोशिका का ऊपरी भाग होता है इसी भाग मे केन्द्रक होता है । कोशिका पिण्ड के भाग से अनेक तन्तु निकलते हैं जिन्हें ‘पार्श्वतन्तु’ (Dendrite) कहते हैं । इनकी पुन: उपशाखाएँ हो जाती हैं । ये शाखाएँ वास्तव में जीवद्रव्य के निचले भाग होते हैं जिनके ऊपर की ओर झिल्ली रहती है नीचे की ओर निकली लम्बी शाखा कोशिका का दूसरा भाग होता है, इसे हम अक्ष तन्तु (Axon) कहते हैं ।
(2) अक्ष तन्तु (Axon):
यह झिल्ली के नीचे की ओर से निकलती पतले-पतले ब्रुश के समान होते हैं । इन्हें (End Brush) कहते हैं । इन्हीं की सहायता द्वारा तन्त्रिका कोशिका एक चैन के समान जुड़ी रहती है । तन्त्रिका कोशिका भूरे रंग की होती है । तन्त्रिका कोशिका से निकलने वाले तन्तु सफेद रंग के होते हैं, जिन्हें ऊतक भी कहा जाता है ।
तन्त्रिका कोशिका के पार्श्वतन्तु सन्देश ग्रहण करते हैं । यह सन्देश को दूसरी तन्त्रिका कोशिका के पार्श्वतन्तु में पहुँचाते हैं । इस प्रकार न्यूरॉन की चेन द्वारा संदेश मस्तिष्क तक पहुँचाता है । दो न्यूरॉन के बीच जो दूरी होती है, उसे साइनैप्स कहते हैं ।
युग्मानुबन्ध (Synapsis):
लगभग 100 अरब वर्ष पूर्व से ही मनुष्य में पृथक् तन्त्रिका कोशिकाएँ होती हैं । प्रत्येक तन्त्रिका कोशिकाओं का अक्ष तन्तु स्वतन्त्र छोर पर अनेक छोटीछोटी शाखाओं में बँटा होता है जो निकटवर्ती तन्त्रिका के डेन्टाइट्स पर फैला रहता है ।
इन शाखाओं के स्वतन्त्र छोर घुण्डीनुमा होते हैं, इनके और उन रचनाओं के बीच जिन पर ये फैली रहती हैं, प्राय: कोई भौतिक स्पर्श नहीं होता है वरन् दोनों के बीच एक सँकरा तरल से भरा बन्द-सा स्थान बचा रहता है, जिसे सिनैप्टिक विदर (Synaptic Cleft) कहते हैं । इसी सन्धि स्थानों को युग्मानुबन्ध (Synapsis) कहते हैं ।
शरीर की अधिकांश तन्त्रिका कोशिकाओं को दो भागों में बाँटा जाता है:
(1) संवेदी तन्त्रिका कोशिकाएँ (Sensory Nervous Cells);
(2) चालक तन्त्रिका कोशिकाएँ (Motor Nervous Cells) |
(1) संवेदी तन्त्रिका कोशिकाएँ (Sensory Nervous Cells):
सन्देशवाहक में वे तन्त्रिकाएँ होती हैं जो कि बाहरी जगत की उत्तेजनाओं से प्रभावित होती हैं जिसके कारण इनमें संवेदना उत्पन्न होती है । उस संवेदना के कारण प्राप्त सूचना को ये तन्त्रिकाएँ मस्तिष्क व सुषुम्ना में पहुँचाती हैं । हमारे शरीर में सन्देश अंग आँख, नाक और कान होते हैं ।
(2) चालक तन्त्रिका कोशिकाएँ (Motor Nervous Cells):
चालक तन्त्रिकाएँ मुख्यत: मस्तिष्क से प्रेरणाओं को प्रतिक्रियाओं को करने वाली पेशी या अस्थि कोशिकाओं में पहुँचाती हैं चालक तन्त्रिकाएँ आँख, नाक, स्वर यन्त्र व जीभ आदि अंगों में पायी जाती हैं ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें