मृत्वत्सा दोष
बार-बार गर्भश्राव या गर्भपात होना अथवा जन्म के बाद ही कुछ ही दिनों में नवजात शिशु की मृत्यु हो जाये तो जन्म देने वाली माता को दोष दिया जाता है। स्त्रियों के गर्भ का यह दोष मृत्वत्सा दोष कहलाता है।
चिकित्सा:
1. पितौजिया (जियापोता): पितौजिया (जियापोता) की गुठली की माला पहननी चाहिए। इसके पहनने से संतान जीवित रहती है, इसलिए इसको जिया पोता के नाम से भी जाना जाता है।
2. चिरचिटा (अपामार्ग): चिरचिटा (अपामार्ग) की जड़ के साथ लक्ष्मण की जड़ ग्रहण कर एक रंग वाली गाय (जिस गाय के बछड़े न मरते हो) के दूध में पीसकर खाने से पुत्र की आयु बढ़ती है।
3. नींबू: नींबू के पुराने पेड़ की जड़ को पीसकर घी में मिलाकर खाने से भी संतान जीवित जन्म लेती है।
4. भांगरे: ऋतु स्नान (माहवारी समाप्ति) के बाद 7 दिनों तक भांगरे का रस 10 से 20 मिलीलीटर सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।
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