google.com, pub-,8818566653219942, DIRECT, f08c47fec0942fa0 "स्वास्थ्य संबंधित ताजा जानकारी" 🪫The latest health updates: गर्भाशय व योनि के रोग expr:class='"loading" + data:blog.mobileClass'>

शनिवार, 13 दिसंबर 2025

गर्भाशय व योनि के रोग

 गर्भाशय व योनि के रोग 


1. नीम: नीम के पत्तों को पानी में उबाल-छानकर इससे योनि को धोने से योनि की खुजली नष्ट हो जाती है। इसे सुबह-शाम को सेवन करना चाहिए।


2. आंवला: आंवला का रस 20 मिलीलीटर मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पीने से योनि और गर्भाशय की जलन ठीक हो जाती है।


3. तुम्बी: कडु़वी तुम्बी का रस 5 मिलीलीटर की मात्रा में लेकर लगभग 200 ग्राम दही में मिलाकर सुबह के समय प्रयोग करें। इससे गर्भाशय के मस्से ठीक हो जाते हैं।


4. लहसुन: लहसुन की 3-4 फली छीलकर भुनी हुई हींग के साथ सुबह कुछ दिनों तक प्रयोग करने से बच्चा होने के बाद गर्भाशय का जहरीला तरल पदार्थ बाहर निकल जाता है।


5. गुलाब: गुलाब का रस लगभग 10 मिलीलीटर और रोगन गुल 10 ग्राम को मिलाकर खिलाने से योनि की खुजली मिट जाती है।


6. राई:


गर्भाशय में कैंसर होने पर, सप्ताह में दो से तीन बार राई के गुनगुने पानी की पिचकारी द्वारा धोने से लाभ होता है। पच्चीस ग्राम राई को एक कप शीतल (ठंडे) पानी में भिगो लें, इसे मसलकर लुआब बनाकर फिर साढ़े सात सौ ग्राम गुनगुने पानी में मिला लें। 

गर्भाशय के अनेक दर्द, काफी तेज दर्द में, नाभि के नीचे या कमर पर राई के प्लास्टर का इस्तेमाल लगातार करना चाहिए। 

गर्भावस्था का भोजन 1. नारंगी: गर्भवती स्त्री को प्रतिदिन दो नारंगी दोपहर में पूरे गर्भकाल में खिलाते रहने से होने वाला शिशु बहुत सुन्दर होता है।


2. मौसमी: मौसमी के फल में कैल्शियम अधिक मात्रा में मिलता है। गर्भवती स्त्रियों और गर्भाशय के बच्चे को शक्ति प्रदान करने के लिए इसका रस पौष्टिक होता है।


3. नारियल: नारियल और मिश्री खाने से प्रसव में दर्द नहीं होता है तथा उत्पन्न संतान स्वस्थ होती है।


4. शहद: गर्भावस्था में महिलाओं के शरीर में रक्त की कमी आ जाती है। गर्भावस्था के समय रक्त बढ़ाने वाली चीजों का अधिक सेवन करना चाहिए। महिलाओं को दो चम्मच शहद प्रतिदिन सेवन करने से रक्त की कमी नहीं होती है। इससे शारीरिक शक्ति बढ़ती है और बच्चा मोटा और ताजा होता है। गर्भवती महिला को गर्भधारण के शुरू से ही या अन्तिम तीन महीनों में दूध और शहद पिलाने से बच्चा स्वस्थ और मोटा ताजा होता है।


5. गाजर: आधा गिलास गाजर का रस, आधा गिलास दूध व स्वादानुसार शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से गर्भावस्था की कमजोरी दूर होती है।


गर्भावस्था से पूर्व सावधानी 1. मैथुन हेतु विषम आसनों का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे प्रजननांग चोटिल, क्षतिग्रस्त और सूजनयुक्त हो सकता है।


2. उस प्रकार के व्यायाम भी नहीं करने चाहिए जो शक्ति से बाहर हो।


3. मल-मूत्र, प्यास और भूख के वेगों को (इच्छाओं को) नहीं रोकना चाहिए।


4. अधिक शीतल, गर्म, तीक्ष्ण, गरिष्ठ आहार के सेवन से अनेक रोग उत्पन्न होते हैं। गर्भधारण की इच्छुक नारियों को उसे अपथ्य समझना चाहिए।


5. अधिक भोजन तथा अल्प भोजन भी स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं होता है।


6. दाम्पत्य जीवन को प्रसन्नता से तथा उद्वेग-रहित रूप से चलाना चाहिए। शोक, क्रोध चिंता आदि नहीं करनी चाहिए। अधिक रोना, हंसना, कूढ़ना, ईर्ष्या, द्वेषादि रखना भी स्वयं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है और ऐसे भी कारण जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के प्रतिकूल हो उन्हें त्याग देना ही बेहतर होता है।

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