प्रतिवर्ती क्रियाएँ (Reflex Reactions):
वातावरण के परिवर्तन के प्रति मनुष्य की प्रतिक्रियाएँ दो प्रकार की होती हैं- ऐच्छिक प्रतिक्रियाएँ व अनैच्छिक प्रतिक्रियाएँ । ऐच्छिक प्रतिक्रियाएँ मानव की चेतना एवं इच्छा के अनुसार सुनियोजित एवं सउद्देश्य होती हैं । अत: इन पर मस्तिष्क का नियन्त्रण होता है जैसे – भोजन करना, भागना, चलना इत्यादि । इसके विपरीत अनैच्छिक प्रतिक्रियाएँ मानव की चेतना शक्ति के अधीन नहीं होती हैं ।
अनैच्छिक प्रतिक्रियाएँ भी दो प्रकार की होती हैं – प्रतिक्षेप या प्रतिवर्ती (Reflex) व स्वायत्त (Autonomic) । प्रतिवर्ती क्रियाएँ प्राय: स्पाइनल तन्त्रिकाओं द्वारा सम्यता होती है; जैसे – पकवान देखकर मुँह में पानी आना, आंखों के आगे अचानक किसी वस्तु के आ जाने पर या तेज प्रकाश पड़ने पर पलकों का झपकना इत्यादि । यह सब अनैच्छिक प्रतिवर्ती क्रियाएँ होती हैं ।
प्रतिवर्ती क्रिया बहुत जल्दी होती हैं क्योंकि मेरुरज्जु संवेदी सूचनाओं को एक दर्पण की भांति ज्यों-की-त्यों तुरन्त चालक प्रेरणाओं के रूप में लौटा देता है । इसलिए इन्हें प्रतिवर्ती क्रियाएँ कहा जाता है । यह भी दो प्रकार की होती हैं- अबन्धित तथा अनुबन्धित प्रतिवर्ती क्रियाएँ ।
(i) अबन्धित प्रतिवर्ती क्रियाएँ (Unconditional Reflexes):
ये वंशगत प्रतिवर्ती क्रियाएँ होती हैं जिन्हें मनुष्य इच्छा से इनमें परिवर्तन नहीं कर सकता है; जैसे- खानदानी गायक आदि होना ।
(ii) अनुबन्धित प्रतिवर्ती क्रियाएँ (Conditional Reflexes):
ये क्रियाएँ प्रशिक्षण द्वारा होने लगती हैं । प्रारम्भ में इन क्रियाओं पर मस्तिष्क का नियन्त्रण होता है, लेकिन बाद में भली- भांति स्थापित हो जाने पर यह आदत बन जाती हैं; जैसे – नाचना, साइकिल चलाना, तैरना, खेलना आदि ।
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