तोरई के जूस के फायदे

तोरई के जूस के फायदे
तोरई एक प्रकार की सब्जी होती है और इसकी खेती भारत में सभी स्थानों पर की जाती है। जो लोग हरी सब्जियां खाना पसंद करते हैं वे तोरई का सेवन बहुत अधिक मात्रा में करते हैं। आमतौर पर लोग तोरई का उपयोग केवल सब्जी के रूप में ही करते हैं और यह नहीं जानते हैं कि तोरई का प्रयोग एक औषधि के रूप में भी किया जाता है। आयुर्वेद में यह बताया गया है कि तोरई पचने में आसान होती है, पेट के लिए थोड़ी गरम होती है। कफ और पित्त को शांत करने वाली, वात को बढ़ाने वाली होती है। घाव को ठीक करती है, पेट को साफ करती है, भूख बढ़ाती है और हृदय के लिए अच्छी होती है। इतना ही नहीं यह कुष्ठ, पीलिया, सूजन, गैस, कृमि, गोनोरिया, सिर के रोग, घाव, पेट के रोग में भी उपयोगी होती है।
तोरई की सब्जी बहुत स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। गर्मियों के आस-पास आने वाली तोरई में ढेर सारे ऐसे गुण होते हैं, जो इसे आपकी सेहत के लिए परफेक्ट सब्जी बनाते हैं। तोरई की सब्जी खाने से शरीर में रक्त का निर्माण होता है और रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है। इसके अलावा इसे खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। तोरई की खास बात ये है, कि इसमें काफी मात्रा में पानी होता है जिसके कारण ये पाचन में आसान होती है और पेट को कई बीमारियों से बचाती है। तोरई को आयुर्वेद में पथरी का रामबाण इलाज माना जाता है।
तोरई के जूस के औषधीय गुण
सिर के रोग में फायदेमंद: तोरई के पत्तों के रस से गेहूँ के आटे को गूँथ कर उसकी बाटियाँ बनाकर उन्हें चूर लें। उसमें घी और शक्कर मिलाकर लड्डू की तरह बना लें। इसे खाने से अनन्त वात नामक सिर के रोग में लाभ होता है। कच्ची कड़वी तोरई को पीसकर कनपटी पर लगाने से भी सिर के दर्द से आराम मिलता है। सिर दर्द में तुरई के फायदे बहुत आराम पहुँचाते हैं।
आँखों के रोग में: कड़वी तोरई के बीजों को मीठे तोरई तेल में घिसकर आंखों में काजल की भांति लगाने से काला मोतियाबिंद ठीक होता है। तोरई के पत्तों को पीसकर उसका रस निकाल लें। इसे 1-2 बूंद आँखों में लगाने से आँखों के विभिन्न रोगों में लाभ होता है।
पथरी के लिए करें प्रयोग: अगर आपकी पथरी छोटी है या पथरी की शुरुआत है, तो तोरई के सेवन से पथरी धीरे-धीरे गलती है, और समाप्त हो जाती है। तोरई में काफी मात्रा में फाइबर होता है। इसके अलावा इसमें विटामिन C, राइबोफ्लेविन, जिंक, थियामिन, आयरन और मैग्नीशियम होता है इसलिए इसे खाने से किडनी की पथरी के साथ-साथ अन्य रोग समाप्त हो जाते हैं।
लिवर रोगों में फायदेमंद: लगातार तोरई का सेवन करना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। तोरई रक्त शुद्धिकरण के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है साथ ही यह लिवर के लिए भी गुणकारी होता है। पीलिया होने पर अगर रोगी की नाक में 2 बूंद तोरई के फल का रस डाल दें, तो नाक से पीले रंग का द्रव बाहर निकलता है। जिससे पीलिया रोग जल्दी समाप्त हो जाता है।
वजन कम करने में: एक तोरई में लगभग 95 प्रतिशत पानी और केवल 25 प्रतिशत कैलोरी होती है। जिससे वजन नहीं बढ़ता। इसमें संतृप्त वसा और कोलेस्ट्रॉल की भी बहुत ही सीमित मात्रा होती है जो वजन कम करने में सहायक होती है।
डायबिटीज: तोरई ब्लड और यूरीन दोनों में शुगर के स्तर को कम करने में मदद करती है। इसलिए यह डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होती है। तोरई में इन्सुलिन की तरह पेप्टाईड्स पाए जाते हैं। इसलिए इसे डायबिटीज नियंत्रण के लिए एक अच्छे उपाय के तौर पर देखा जाता है। इसलिए सब्जी के तौर पर इसके इस्तेमाल से डायबिटीज में फायदा होता है।
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