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रविवार, 21 दिसंबर 2025

यकृत:

 यकृत: 

शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि है जिसका वजन 1.5 किग्रा से अधिक होता है । यह उदर के ऊपरी भाग, दायें हाइपोकान्ड्रियम व इपीगैस्ट्रियम में स्थित होता है तथा यह बायें हाइपोकान्ड्रियम में भी फैला होता है । इसमें अगली, पिछली, ऊपरी, निचली और दांयी सतहें होती हैं ।


आगे व निचली सतहें नुकीली होती हैं, जबकि अन्य सतहें गौण होती हैं । यकृत को दो मुख्य लोबों में बांटा गया है और अन्य छोटे लोब क्वाड्रेट तथा कोडैट इसकी निचली सतह पर स्थित होते हैं । इसकी भिन्न सतह डायाफ्राम, ग्रासनली, उदरस्थ महाधमनी, इन्फीरियर वीनाकेवा, दायें गुर्दे, दांयी सुप्रारीनल ग्रन्थि, डियोडिनम, हिपेटिक फ्लैकसर, कोलन, पित्ताशय व आमाशय से संबंधित होती है । 


पाचन के सामान्य तथ्य:


पाचन नली से गुजरते समय भोजन पर, एन्जाइम क्रिया कर इसे रक्त द्वारा अवशोषित हो सकने वाले छोटे-छोटे कणों में तोड़ देता है । इस क्रिया को पाचन कहते हैं । भोजन के कुछ तत्व जैसे पानी, लवण, विटामिन व ग्लूकोज जैसे के तैसे छोटी आंत द्वारा अवशोषित हो जाते हैं । कुछ अन्य तत्व न तो पचते हैं और न अवशोषित होते हैं और इन पदार्थो को मल के रूप मे शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है ।


भोजन में तीन मुख्य तत्व होते हैं:


कार्बोहाइड्रेड, वसा तथा प्रोटीन ।


कार्बोहाइड्रेट:


ये शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के मुख्य स्रोत हैं जो भोजन में मोनोसैक्राइड (ग्लूकोज व फ्रक्टोज) जो ज्यूजेनम व ऊपरी इलियम द्वारा अवशोषित हो जाते हैं, डाइसैक्राइड (दो मोनोसैक्राइड से मिलकर बनते हैं – सुक्रोज व लैक्टोज) और पालीसैक्राइड (कई मोनोसैक्राइड से मिलकर बनाते हैं -जैसे स्टार्च) के रूप में उपस्थित होता है ।


वसा:


वसा कार्बोहाइहेट की अपेक्षा दो गुनी ऊर्जा प्रदान करती है । वसा पाचन नली में पूर्णत: अवशोषित होने के लिए फैट्‌टी एसिड व ग्लिसरेल में तोड़ दी जाती है ।


वसा के दो मुख्य स्रोत है:


1. जानवर  |


2.वनस्पतियों ।


प्रोटीन:


शरीर की वृद्धि व टूट-फूट की मरम्मत के लिए आवश्यक है । इनका निर्माण एमीनो एसिड के मिलने से होता है । पाचन के दौरान ये पेप्टाइडों व एमिनो एसिड में तोड़ दिये जाते हैं । सामान्य स्वास्थ्य के लिए विटामिन आवश्यक है । इनकी आवश्यकता बहुत थोड़ी मात्रा में होती है पर इनका निर्माण शरीर में नहीं होता है ।


यह दो प्रकार के होते हैं । वसा में घुलनशील विटामिन-ए, डी, ई, व के तथा पानी में घुलनशील विटामिन बी व सी । इनमे से विटामिन बी कई विटामिनों का एक समूह है जो तन्त्रिका तन्त्र, त्वचा, इपीथीलियलाटिश्यू व सामान्य रक्त कणिकाओं के निर्माण के लिए आवश्यक है ।


आवश्यक (ऐसेन्सियल) मिनरलों में सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, सल्फर व आयोडीन प्रमुख हैं । पाचन की शुरुआत मुंह में भोजन के चबाने से शुरू होती है । भोजन को छोटे-छोटे टुकड़ो में तोड़ दिया जाता है । जिसमें लार अच्छी तरह से मिल जाती है । सेलवरी ऐमाइलोज स्टार्च को माल्टोज में तोड़ने की शुरुआत करता है । इसके पश्चात भोजन को निगल लिया जाता है ।


आमाशय में पाचन:


निगलने के बाद भोजन इसाफेजियल निकास से होकर आमाशय के फन्डस वाले भाग में पहुंचता है, जहां से यह धीरे-धीरे आमाशय के बाडी वाले भाग में पहुँचता है । जब आमाशय खाली होता है तो इसकी दीवारें एक दूसरे के साथ स्थित होती है । गैस्टिक जूस प्रोटीन के पाचन की शुरुआत करते हैं ।


आमाशय में तीन प्रकार की ग्रन्थियां होती हैं:


(a) मुख्य गैस्ट्रिक ग्रन्थियां जो स्वयं तीन प्रकार की होती हैं, चीफ या पेप्टिक सेल जो पेपिटसनो जन का निर्माण करते हैं, पेराइटल या आक्जेन्टिक सेल जो हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का निर्माण करते हैं और म्यूकस सेल क्षारीय म्यूकस का निर्माण करते हैं । मुख्य गैस्ट्रिक ग्रन्थियां इन्द्रिन्त्रिक फैक्टर का भी निर्माण करती है ।


(b) पाइलोरिक ग्रन्थियां मुख्य रूप से पाइलोरस में पायी जाती हैं और क्षारीय म्यूकस बनाती हैं ।


(c) कार्डियक ट्यूबुलर ग्रन्थियां मुख्यतया इसोफेजियल निकास के पास के गैसट्रिक म्यूकोसा में पायी जाती हैं ।


भोजन के आमाशय में पहुंचने के बाद आमाशय के बाडी व पाइलोरिक एन्ट्रम में पेरिस्टेल्सिस शुरू हो जाती है तथा कुछ समय पश्चात पायलोरिक सिन्फ़क्टर ढीला हो जाता है तथा पेरिस्टेल्सिस की हर तरंग के साथ थोड़ी मात्रा में द्रव पदार्थ डियोडिनम में चला जाता है । (चित्र 3.42) आमाशय सामान्यतया भोजन के पश्चात तीन या धार धण्टे में खाली हो जाता है । उल्टी आमाशय में पैरिस्टैल्सिस विपरीत दिशा में होने से होती है जिसमे आमाशय के पदार्थ ग्रासनली से होते हुए बाहर आ जाते है 

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