गुर्दे:
बारहवीं थोरेसिक वर्टिब्रा से लेकर तृतीय लम्बर वर्टिब्रा के लेविल पर वर्टिब्रल कालम के दोनों ओर दोनों गुर्दे स्थित होते हैं । प्रत्येक गुर्दे का भार लगभग 150 ग्राम होता है तथा आकार सेम के आकार की 10-12 से॰मी॰ लम्बी व 5-6 से॰मी॰ चौडी होती है ।
कार्यविधि:
गुर्दे की बेसिक फन्कशनल यूनिट (Basic functional units) नेफ्रान (Nephron) होती है जो प्रत्येक गुर्दे में लगभग 10 लाख होते हैं । प्रत्येक नेफ्रान में कैपलरियों का एक गुच्छा होता है जिसे ग्लोमेरूलस कहते हैं । जो नली के बन्द सिरे की ओर स्थित रहकर मालपिजियन कारपसल (Mal-pighian corpuscle) बनाती है जो नेफ़्रान का पहला भाग है (चित्र 3.46) । नेफ्रान के निम्न भागों को चित्र 3.46 में दर्शाया गया है ।
गुर्दे और सुप्रारीनल एडीपोस कैप्सूल से ढके रहते हैं । दांया गुर्दा मध्य की ओर डियोडिनम तथा नीचे दांये कोलोनिक (Colonicflexure) फ्लेक्सर से संबंधित होता है । बांया गुर्दा बांये कोलोनिक फ्लेक्सर और पैन्क्रियाज की टेल से सम्बन्धित होता है । (चित्र 3.46) प्रत्येक गुर्दे के एन्टीरियर और पोस्टीरियर सतहें, मीडियल व लैट्रल (Lateral) मार्जिनें (margin) तथा ऊपरी व निचले सिरे (poles) होते हैं ।
मीडियल साइड पर दोनों गुर्दी में दोनों सिरों के मध्य रीनल हाइलम होता है जिससे रीनल धमनी अन्दर आती है व यूरेटर और शिरा बाहर जाती है । यूरिनरी चैनल का ऊपरी सिरा रीनल पेल्विस कहलाता है जिसके ऊपर व पीछे से रीनल वेसल जाती हैं ।
रीनल पेल्विस का ऊपरी भाग दो या अधिक मेजर कैलेक्सों के मिलने से बनता है तथा निचला भाग यूरेटर में खुलता है । वास्तव में रीनल पेल्विस को यूरेटर का ऊपरी फैला हुआ भाग माना जा सकता है । गुर्दे को काटने पर इसके दो भाग बाहरी कार्टेक्स तथा अन्दर का मेडूला दिखायी पड़ता है । कार्टेक्स में ग्लोमेरूलाई व कन्वूलेटेड ट्यूव्यूल स्थित होते हैं, जबकि मेडूला में कलेक्टिंग डक्ट होती हैं । मेडूला में ही रीनल पिरैमिड भी स्थित होते हैं जिनका आधार कार्टेक्स की तरफ तथा पतला पैपिला (Papilla) वाला भाग माइनर कैलक्स पर स्थित होता है ।
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