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रविवार, 21 दिसंबर 2025

ह्रदय धड़कन Heart Beats

 ह्रदय धड़कन Heart Beats 

शरीर में रक्त-संचार की प्रक्रिया हृदय की पंपिंग या धड़कन द्वारा संपन्न होती है। प्रत्येक धड़कन की तीन अवस्थाएं होती हैं: दो अलिंदों का संकुचन (Contraction of the two Atrium), दो निलयों का संकुचन (Contraction of two Ventricles) तथा विश्राम काल (Rest period)|


हृदय की धड़कन को हार्ट बीट कहते हैं। एक बार की धड़कन में एक कार्डिअक चक्र (Cardiac cycle) पूरा हो जाता है। वक्ष पर बाईं ओर कान लगाकर या स्टेथोस्कोप (Stethoscope) रखकर हृदय की धड़कन सुनी जा सकती है। नवजात शिशु के हृदय की धड़कन प्रति मिनट लगभग 140 बार होती है। दस वर्ष के बच्चे का हृदय एक मिनट में 90 बार धड़कता है। पुरुष के हृदय की धड़कन 70-72 बार प्रति मिनट होती है। स्त्री का हृदय एक मिनट में 78-82 बार धड़कता है। व्यायाम करते समय हृदय की धड़कन प्रति मिनट 140 से 180 बार तक हो जाती है। हृदय की धड़कन अपने आप ही होती रहती है। इस पर मस्तिष्क का कोई नियंत्रण नहीं होता। हृदय की धड़कन का नियंत्रण पेस मेकर करता है।


ह्रदय ध्वनि Heart Sound


    हृदय ध्वनियों में लब (Lubb) नामक प्रथम ध्वनि तब उत्पन्न होती है, जब आलिन्द तथा निलय के बीच के कपाट या वाल्व बन्द होते हैं तथा इसी क्षण निलयों (Pentricles) का संकुचन होता है।

    हृदय ध्वनियों में डब (Dubb) नामक दूसरी ध्वनि तब उत्पन्न होती है, जब अर्द्धचन्द्राकार कपाट बन्द होते हैं। ये वे वाल्व हैं, जो निलय तथा महाधमनियों के बीच होते हैं। कपाट व वाल्व रूधिर को विपरीत दिशा में बहने से रोकते हैं।


    RBCs की अधिकता (सामान्य से ज्यादा) पोलीसाइथीमिया (Polycythemia)

    RBCs की कमी (सामान्य से कम) रक्ताल्पता (Anaemia)

    WBCs की अधिकता (सामान्य से अधिक) ल्यूकमिया (Leukemia)

    WBCs की कमी (सामान्य से कम) ल्यूकोपीनिया (Leukopenia)


हृदय रोग Heart Diseases


    हृदय में कपाटीय रोग, वाल्व के ठीक प्रकार से कार्य करने में असमर्थ होने से होता है। इसमें रूधिर विपरीत दिशा में जाने लगता है।

    एन्जाइना हृदय रोग, भित्ति को ठीक तरीको से रूधिर प्राप्त नहीं होने के कारण होता है। यह कोरोनरी धमनी के संकुचन या उसमें थक्का जमने से होता है।

    पेरिकार्डियोटिस (Pericardiotis): मानव हृदय, एक आवरण से घिरा रहता है। इस आवरण की परतों में एक द्रव भरा रहता है जिसे पेरिकार्डियल द्रव कहते हैं। इस रोग में जीवाणु के संक्रमण के कारण हृदय आवरण में सूजन आ जाती है।

    रूमैटीक हृदय रोग जीवाणु संक्रमण के कारण हृदय के कपाट ठीक से कार्य नहीं कर पाते और हृदय की पेशियाँ कमजोर हो जाती हैं।

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