google.com, pub-,8818566653219942, DIRECT, f08c47fec0942fa0 "स्वास्थ्य संबंधित ताजा जानकारी" 🪫The latest health updates: रेनिन का निर्माण: expr:class='"loading" + data:blog.mobileClass'>

रविवार, 21 दिसंबर 2025

रेनिन का निर्माण:

 रेनिन का निर्माण: 

रेनिन का स्राव सोडियम की मात्रा या रक्त चाप कम होने पर होता है । रेनिन रक्त में उपस्थित एन्जियोटेन्सिनोजन को एन्जिटेन्सिन-1 में, जो एन्जियोटेन्सिन-2 में परिवर्तित होकर एड्रिनल कार्टेक्स से एल्डोस्टेरान के स्राव को बढ़ाता है । एल्डोस्टेरान गुर्दे में सोडियम के अवशोषण को बढ़ाता है । जिससे रक्त का आयतन और रक्त दाब बढ़ता है ।


5. गुर्दे इरेथ्रोपोयटिन (Erythropoetin) का निर्माण करते हैं जो अस्थिमज्जा को लाल रक्त कणिकाओं के अधिक निर्माण हेतु उत्तेजित करता है । 



यूरेटर: 



गुर्दी द्वारा बना हुआ मूत्र, मूत्राशय तक यूरेटरों द्वारा पहुंचता है । यह लगभग 25 से॰मी॰ लम्बी नलियां होती हैं जो गुर्दे की पेल्विस से मूत्राशय के पिछले भाग तक फैली होती हैं । इसकी दीवार तीन पतों वाली होती है ।


1. आन्तरिक म्यूकस सतह जो ट्रान्जीसनल इपीथीलियम से बनी होती है ।


2. मध्य की मस्कुलर सतह, जो बाहरी सरकुलर तथा अन्दर लन्गीट्रयूडिनल पेशियों से बनी होती है ।


3. बाहरी फाइब्रस सतह, जो बाहरी फाइब्रस रीनल कैप्सूल से मिल जाती है ।


मूत्राशय: 


यह खिंच सकने वाली मूत्र को एकत्रित करने वाली थैली है जो 200-300 मिली॰ मूत्र इकट्‌ठा कर सकती है । यह सिम्फाइसिस प्यूविस के ठीक पीछे स्थित होती है । इसकी अगली सतह पेराइटल पेरीटोनियम से ढकी रहती है (चित्र 3.50) । पुरुषों में इसके पीछे रेक्टम, वासडिफरेन्स और सेमिनल वेसिकिल स्थित होते है, तथा मूत्राशय की गर्दन पौस्टेट ग्रन्थि पर स्थित होता है

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